
बेंगलुरु, 05 जुलाई। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आज कहा कि युवकों को रोजगार के अवसर मुहैया नहीं कराए गए तो युवाओं की विशाल आबादी देश के लिए फायदेमंद साबित होने के बजाए बोझ बन सकती है। राष्ट्रपति के रूप में किसी केंद्रीय संस्थान के अपने अंतिम दौरे पर आये श्री मुखर्जी ने यहां भारतीय विज्ञान संस्थान(आईआईएससी) के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि 2020 तक अमेरिका, यूरोप और जापान के मुकाबले भारत में युवकों की आबादी बुजुर्गों से ज्यादा हो जाएगी। विश्व के रोजगार बाजार में इस बड़ी आबादी के लिए अपार अवसर हैं जिसका फायदा देश को मिल सकता है। उन्होंने कहा मुझे डर है कि यदि इन युवाओं का कौशल विकास करके उन्हें रोजगार मुहैया नहीं कराया गया तो यह आबादी बोझ बन जाएगी। राष्ट्रपति ने कहा कि नेताओं, प्रशासकों और उच्च शिक्षण संस्थानों को योजनाएं बनाते समय इस बात को ध्यान में रखना होगा। अर्थव्यवस्था में तेजी के लिए 2022 तक 50 करोड़ लोगों के कौशल विकास जैसी सरकार की पहल की तहे दिल से प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि इन्हें अमली जामा पहनाया जाना चाहिए। श्री मुखर्जी ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के विकास में भारत ने विश्व में ऊंचा स्थान हासिल किया लेकिन अब विभिन्न देश कुशल श्रमिकों का आवागमन रोकने के लिए अपनी आव्रजन नीतियों में बदलाव कर रहे हैं इसलिए भारत को इन चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि शोध एवं नवोन्मेष में पर्याप्त निवेश न करके इनकी उपेक्षा की गई है और जब तक इनमें पर्याप्त निवेश नहीं किया जाएगा तब तक देश में अपेक्षित विकास नहीं हो सकेगा। उन्होंने कुशाग्र बुद्धि एवं मेधावी छात्रों से मौलिक अनुसंधान के क्षेत्र में आगे आने का आह्वान किया । उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों से सिर्फ अपने और परिवार को सुखी एवं समृद्ध बनाने की बजाय राष्ट्रनिर्माण में भी योगदान करने को कहा । श्री मुखर्जी ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में देश में उच्च शैक्षणिक संस्थानों एवं कालेजों की संख्या तेजी से बढी है लेकिन योग्य शिक्षकों ,ढांचागत सुविधाओं और शोधार्थियों के लिए अनुकूल माहौल की कमी है। आज ऐसे शिक्षकों की जरूरत है जो युवा मनो-मस्तिष्क को तेजमय और ऊर्जावान बना सकें ।
श्री मुखर्जी ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में देश में उच्च शैक्षणिक संस्थानों एवं कॉलेजों की संख्या तेजी से बढ़ी है लेकिन योग्य एवं कुशल शिक्षकों, ढांचागत सुविधाओं और शोधार्थियों के लिए अनुकूल माहौल की कमी है। आज ऐसे शिक्षकों की जरूरत है जो युवा मनो-मस्तिष्क को तेजमय और ऊर्जावान बना सकें। उन्होंने कुशाग्र बुद्धि एवं मेधावी छात्रों से मौलिक अनुसंधान के क्षेत्र में आगे आने का आह्वान किया ।
राष्ट्रपति ने उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों से सिर्फ अपने और परिवार को सुखी एवं समृद्ध बनाने की बजाय राष्ट्रनिर्माण में भी उत्पादक एवं फलदायी योगदान करने को कहा।
इससे पहले श्री मुखर्जी ने भावुक होकर कहा कि राष्ट्रपति के रूप में किसी केंद्रीय संस्थान का यह उनका अंतिम दौरा है और उन्हें इस बात की खुशी है कि वे ऐसे संस्थान में आये हैं जिसने देश को गौरवान्वित किया है। उन्होंने बताया कि आईआइएससी को अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने ‘नये संस्थानोंÓ की श्रेणी में पांचवें स्थान पर रखा है।