
भारत चीन के बीच डोकालम एक गंभीर मामला
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि डोकालम मामला हमारे लिए गंभीर मामला है, जिसके प्रभाव हैं। यह कई कारणों से हैं। हमने इस बारे में पहले ही अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। इस वक्त हम केवल यही कह सकते हैं कि राजनयिक चैनल खुले हुए हैं और उनका पहले की तरह से उपयोग जारी रहेगा।
नई दिल्ली, 13 जुलाई। चीन के कश्मीर में सकारात्मक भूमिका निभाने संबंधी बयान को भारत ने कोई तवज्जो नहीं दी है। चीन का प्रस्ताव ठुकराते हुए भारत ने कहा कि मामले के मूल में सीमा पार से भारत में फैलाया जा रहा आतंकवाद है। इससे पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता को खतरा उत्पन्न हो गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा, भारत की स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट है। द्विपक्षीय ढांचे में जम्मू कश्मीर समेत सभी मुद्दों पर पाकिस्तान से बातचीत करने के भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर भारत के रुख को दोहराते हुए श्री बागले ने कहा कि भारत अपने दृष्टिकोण को सही मानता है और उसी पर कायम है। उन्होंने चीनी मीडिया में युद्धोन्मादी बयानों से जुड़े सवालों का जवाब देने से इन्कार कर दिया और कहा कि दोनों देशों के बीच राजनयिक चैनल पहले से ही काम करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा हम पहले ही इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं और हम इस बात को लेकर बहुत आश्वस्त हैं कि हमारा रुख सही है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने समय समय पर स्पष्ट रूप से कहा है कि किस प्रकार से दोनों सरकारें विगत कुछ वर्षों में एक दूसरे के साथ ऐसे मुद्दों से निपटती रही हैं। भारत ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह किस प्रकार से ऐसे मुद्दों का भविष्य में समाधान करना चाहेगा। चीन ने बुधवार को कहा था कि कश्मीर हालात ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। वह कश्मीर पर भारत व पाकिस्तान के संबंधों को सुधारने के लिए रचनात्मक भूमिका निभाने को तैयार है। लेकिन, चीन ने सोमवार को कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के तीर्थयात्रियों पर हुए आतंकवादी हमले पर कुछ नहीं कहा। डोकालम क्षेत्र में भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध के बारे में पूछे जाने पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि डोकालम मामला हमारे लिए गंभीर मामला है, जिसके प्रभाव हैं। यह कई कारणों से हैं। हमने इस बारे में पहले ही अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। इस वक्त हम केवल यही कह सकते हैं कि राजनयिक चैनल खुले हुए हैं और उनका पहले की तरह से उपयोग जारी रहेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने आज यहां नियमित ब्रीफिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के उस बयान का भी खंडन किया जिसमें चीनी प्रवक्ता ने कहा था कि हैम्बर्ग में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच कोई बातचीत नहीं हुई।
श्री बागले ने दोहराया कि दोनों नेताओं के बीच ब्रिक्स बैठक के बाद विभिन्न मुद्दों पर बातचीत हुई थी। यह पूछे जाने कि क्या श्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति के बीच डोकालम क्षेत्र में सैन्य गतिरोध के बारे में बात हुई थी, प्रवक्ता ने कहा यह मेरे अधिकार में नहीं है कि मैं यह बताऊं कि दोनों नेताओं ने किन किन मुद्दों पर बात की लेकिन उनके बीच बातचीत हुई है और यह आपकी कल्पना पर छोड़ता हूं कि क्या बात हुई होगी।