राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों को केवल जातीय चश्मे से देखना दुर्भाग्यपूर्ण- मीरा कुमार…

लखनऊ, 14 जुलाई। राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार ने दोनों प्रत्याशियों की योग्यता के बजाय जाति पहचान बन जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए आज कहा कि वह इसी विचारधारा को खत्म करने के लिए ही चुनाव लड़ रही हैं। श्रीमती कुमार ने यहां बहुजन समाज पार्टी(बसपा) अध्यक्ष मायावती और समाजवादी पार्टी(सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने के बाद पत्रकारों से कहा कि राष्ट्रपति का चुनाव लड़ रहे दोनों उम्मीदवार दलित हैं। दोनों की पहचान योग्यता के बजाय जाति बन गयी है और यही सोच समाज और देश को पीछे ले जायेगी। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में दोनो उम्मीदवारों को जाति की दृष्टि से देखा जा रहा है। तकनीकी और आधुनिकता के इस युग में जाति के बजाय योग्यता को प्राथमिकता मिलनी चाहिए लेकिन सबको साथ लेकर चलने की विचारधारा पर कुठाराघात किया जा रहा है। मनुवादी विचारधारा को फिर से थोपा जा रहा है। दलित प्रताडि़त महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह चुनाव व्यक्तियों का नहीं विचारधारा का है। वह विचारधारा की लड़ाई लड़ रही हैं। उन्होंने मतदाताओं से अपील की कि इस ऐतिहासिक क्षण में आत्मा की आवाज सुनें, आने वाली पीढिय़ों के हित को सर्वोपरि रखते हुए समर्थन दें।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश से उनका पुराना नाता है। उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत बिजनौर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़कर की थी। कानपुर में उनका ननिहाल है। उम्मीदवार बनाये जाने पर विपक्ष को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों की एकता विचारधारा के रुप में है। इसे जनतंत्र की खूबसूरती के रुप में भी देखा जा सकता है जबकि सत्ता नीतियों और सिद्धांतों से हटकर काम कर रही है।
श्रीमती कुमार ने कहा कि देश बहुधर्मी है। यहां सभी धर्मों के लोग मिलकर रहते हैं। जातीय व्यवस्था है। इस व्यवस्था में एक बड़े वर्ग ने बहुत कष्ट झेला है। उन्हें हाशिये पर पहुंचा दिया गया है। उन्होंने बताया कि उनकी मुलाकात सपा, बसपा, राष्ट्रीय लोकदल और कांगेस के सभी सांसदों एवं विधायकों से हुई है। मुलायम सिंह यादव से भी उन्होंने सम्पर्क किया था।

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