एटीएस ने माकड्रिल कर परखी विधानभवन की सुरक्षा…

लखनऊ, 16 जुलाई। उत्तर प्रदेश विधानसभा भवन में विस्फोटक पदार्थ मिलने के 72 घंटे बीत जाने के बाद भी आतंकवादी निरोधक दस्ता (एटीएस) तथा अन्य सुरक्षा एजेंसियां किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पायी है कि आखिर चाक चौबंद सुरक्षा के बावजूद विस्फोटक यहां तक कैसे पहुंचा। देश के बड़े राज्य के विधानभवन की सुरक्षा के मद्देनजर आज एटीएस तथा अन्य सुरक्षा एजेसियों ने माकड्रिल (सांकेतिक अभ्यास) किया। राष्ट्रपति चुनाव के लिए होने वाले मतदान के ठीक एक दिन पहले आज माक ड्रिल के बाद लखनऊ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक अभय कुमार प्रसाद और राज्य पुलिस की आतंकवादी निरोधक दस्ते (एटीएस) महानिरीक्षक असीम अरुण ने बताया कि एनआईए की टीम कल सुबह यहां पहुंचेगी। पहुंचते ही वह विस्फोटक मिलने और इसके साथ सम्भावित साजिशों की जांच शुरू कर देगी। माकड्रिल में क्विक रिस्पांस टीम के कमाण्डो, एटीएस, पीएसी, नागरिक पुलिस और विधानभवन के सुरक्षाकर्मी शामिल थे। श्री अरुण ने स्वीकार किया कि सदन में मिले पाउडर की प्रारम्भिक जांच में ही शक्तिशाली विस्फोटक पीईटीएन होने की पुष्टि हुई है, लेकिन इसका अंतिम तौर पर अभी परीक्षण होना बाकी है। उनका कहना था कि जांच कार्य शुरु करने के बाद एनआईए और उच्चीकृत प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेजेगा। एटीएस भी इसे दूसरे प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेज सकता है। उनका कहना था कि विस्फोटक की जांच अंतिम के बजाय प्रारम्भिक थी। श्री प्रसाद ने कहा कि माकड्रिल के दौरान विधानभवन की सुरक्षा में कई खामियां महसूस की गयी हैं। सुरक्षा प्रबंधों को लोकसभा की तर्ज पर उच्चीकृत किया जायेगा। उनका कहना था कि सुधार की गुंजाइश हर समय रहती है। खामियों को दूर कर विधानभवन की सुरक्षा प्रबंधों को लोकसभा की तर्ज पर किया जायेगा। उन्होंने बताया कि सुरक्षाकर्मी सजग हैं। कल उन्हें विधानभवन के गेट नं. सात पर पास नहीं होने की वजह से रोक लिया गया था। रोकने वाले सुरक्षाकर्मी को उन्होंने पुरस्कृत किया है। आज अपर पुलिस महानिदेशक आगरा जोन और लखनऊ के मण्डलायुक्त को सुरक्षाकर्मियों ने वापस कर दिया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विस्फोटक मिलने को घातक आतंकवादी साजिश का हिस्सा करार देते हुए इसकी जांच एनआईए से कराने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि यह सुरक्षा को चुनौती है। आतंकवादी साजिश का हिस्सा है। इसलिये इसकी जांच एनआईए से होनी ही चाहिये। उन्होंने बताया कि पाउडर 12 जुलाई को सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले मिला था। 14 जुलाई को इसके शक्तिशाली विस्फोटक होने की पुष्टि हुई थी।
श्री योगी ने कहा कि यह मामला 22 करोड़ लोगों की सुरक्षा से जुडा है। पाउडर की मात्रा तो केवल 150 ग्राम थी लेकिन इसके विस्फोट से बड़ा नुकसान हो सकता था। पूरे विधानभवन को उड़ाने के लिये 500 ग्राम यह विस्फोटक पर्याप्त है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सवाल यह उठता है कि आखिर वे कौन लोग हैं, जिन्होंने इसे यहां तक पहुंचाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अजीब बात है कि आतंकी हमले होने की स्थिति में ‘क्विक रिस्पांस टीमÓ नहीं है। हम अपनी सुरक्षा को लेकर ही लापरवाह थे। बिना पास के प्रवेश हर हाल में बंद होना चाहिये। शरारती तत्व इस स्तर पर उतर आये हैं जिसे कभी सोचा नहीं जा सकता। सुरक्षा के सख्त निर्देश होने चाहिये। सदन के इतिहास में यह पहला मौका था जब उसके भीतर इस तरह का विस्फोटक मिला है। इसके मिलते ही शासन प्रशासन में हड़कम्प मच गया था। बैठकों का दौर शुरू हो गया था। चौकसी बढा दी गयी थी। उसके बाद विधानभवन में कड़ी तलाशी के बाद प्रवेश दिया जा रहा है। हर तरफ सुरक्षाकर्मी ही नजर आ रहे हैं। कमांडो की तैनाती की गयी है।
विस्फोटक विरोधी दल सपा सदस्यों की सीट के पास मिला था। विस्फोटक की जांच में जुटी राज्य पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने सीसीटीवी फुटेज खंगाला। दो विधायकों समेत पन्द्रह लोगों से पूछताछ हो चुकी है। इस सिलसिले में विधानसभा मार्शल मनीश चन्द्र राय की तहरीर के अनुसार अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 4/5/6 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम एवं 16,18,20 यूएपीए एक्ट और भारतीय दण्ड विधान की धारा 121ए, 120बी के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है। 12 जुलाई को सदन के अन्दर सत्र के दौरान रुटीन सुरक्षा जांच में बम निरोधक दस्ते (बीडीएस) और एंटी माइन्स टीम को 100 से 150 ग्राम संदिग्ध सफेद रंग का पाउडर प्राप्त हुआ था। बरामद पाउडर उसी दिन फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया था।
श्री शर्मा ने बताया कि बरामद पाउडर को नियमानुसार हजरतगंज प्रभारी निरीक्षक द्वारा फोरेंसिक जांच के लिए एफएसएल महानगर लखनऊ भेजा गया था। उन्होंने बताया कि एफएसएल से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार विधानभवन में बरामद सफेद पाउडर की पहचान विस्फोटक में प्रयुक्त होने वाले पदार्थ के रूप में की गयी।
गौरतलब है कि सदन की कार्यवाही शुरु होने के पहले नियमित जांच के दौरान 12 जुलाई को सफेद पाउडर मिला था। फारेंसिक लैब की रिपोर्ट के अनुसार वह शक्तिशाली विस्फोटक पीईटीएन निकला। नियमित जांच में बम निरोधक दस्ते में शामिल कुत्ते को इसकी भनक नहीं मिल पायी थी। इसे एंटी माइन्स टीम ने बरामद किया था।

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