
लखनऊ, 16 जुलाई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ स्थित किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के ट्रामा सेन्टर का दौरा कर मरीजों का हालचाल लिया, जहां कल रात आग लगने से भगदड़ मच गयी थी। इस हादसे में भगदड के दौरान छह मरीजों की शिफ्ट करते समय लाइफ सपोर्ट सिस्टम हट जाने से मृत्यु हो गयी थी, जिसमें दो बच्चे शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपए की आर्थिक सहायता दिये जाने की घोषणा की है। श्री योगी ने ट्रॉमा सेण्टर में कल की आग से प्रभावित तलों का निरीक्षण करने के साथ-साथ अन्य तलों पर भर्ती मरीजों से मुलाकात कर उनका हालचाल भी पूछा। उन्होंने आग के कारण ट्रॉमा सेण्टर से शिफ्ट किए गए सभी मरीजों की सारी आवश्यक जांचें तथा इलाज नि:शुल्क कराए जाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से इस घटना के दौरान शिफ्टिंग अथवा उसके बाद सदमे से जान गंवाने वाले मरीजों के सम्बन्ध में आख्या मांगने के साथ-साथ मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपए की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की घोषणा की है। इस घटना में आग से जल कर किसी की भी मृत्यु नहीं हुई है। ट्रॉमा सेण्टर का निरीक्षण करने के बाद श्री योगी ने शताब्दी चिकित्सालय फेज़-2 में शिफ्ट किए गये मरीजों से मिलकर उनका भी हालचाल लिया। उन्होंने केजीएमयू के कुलपति डा. एमएलबी भट्ट तथा अन्य पदाधिकारियों को व्यवस्था बहाल करने के साथ-साथ भविष्य में ऐसी घटना की रोकथाम के सम्बन्ध में आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए।
उन्होंने आग लगने के सम्भावित कारणों की भी जानकारी ली। साथ ही, मरीजों को उचित इलाज तथा अन्य सुविधाएं नि:शुल्क उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिये।
श्री योगी ने डीजी फायर सेफ्टी को सभी महत्वपूर्ण अस्पतालों, कार्यालयों, अन्य सरकारी भवनों तथा मल्टी स्टोरी भवनों की फायर सेफ्टी की स्थिति की समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने पुलिस, प्रशासन, फायर सर्विसेज़ के अधिकारियों एवं कर्मचारियों, वरिष्ठ चिकित्सकों, रेजीडेण्ट चिकित्सकों एवं अन्य स्टाफ द्वारा मरीजों की सहायता के लिए दिखायी गयी तत्परता के लिए उनकी प्रशंसा की और उन्हें सम्मानित करने की भी घोषणा की। श्री योगी ने लखनऊ के मण्डलायुक्त को इस घटना की जांच कर तीन दिन में प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं। इस घटना के लिए दोषी व्यक्तियों का उत्तरदायित्व निर्धारित करने तथा उनके विरुद्ध कार्रवाई करने के भी निर्देश दिये गये है।
विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डा. वेद गुप्ता के अनुसार ट्रामा सेन्टर में प्रतिदिन मरने वाले मरीजों की संख्या दस से 15 तक रहती है क्योंकि सेन्टर में दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से घायल मरीजों में कई नाजुक हालत में लाये जाते हैं। ट्रामा सेन्टर में जो भी मृत्यु हुई वे अन्य कारणों से हुई है।
डा. गुप्ता ने बताया कि आग लगने की घटना के बाद प्रशिक्षण पा रहे जूनियर डाक्टरों से हास्टल खाली कराने के आदेश दिये गये थे ताकि उनमें मरीजों को शिफ्ट किया जा सके।
आधिकारिक सूत्रों ने दावा किया कि 24 घंटे के भीतर जले हुए स्थानों का मरम्मत कार्य पूरा कर लिया जायेगा और ट्रामा सेन्टर मरीजों के लिये फिर पूरी तरह से खोल दिया जायेगा।