
नयी दिल्ली, 18 जुलाई। सत्तारुढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार एम वेंकैया नायडू और विपक्ष के उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी ने आगामी पांच अगस्त को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव के लिये ने आज अपने नामांकन पत्र दाखिल किये। श्री नायडू ने संसद भवन में राज्यसभा के महासचिव शमशेर के शरीफ के समक्ष अपने नामांकन पत्र के चार सेट दाखिल किये। उनके प्रस्तावकों तथा अनुमोदकों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी , भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी , मुरली मनोहर जोशी , विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तथा लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख राम विलास पासवान शामिल हैं जो इस मौके पर मौजूद थे। इस अवसर पर भाजपा प्रमुख अमित शाह, केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल, नितिन गडकरी, सुरेश प्रभु कुछ अन्य वरिष्ठ मंत्री तथा अन्नाद्रमुक के सांसद वी मैत्रेयन भी उपस्थित थे। भाजपा ने कल शाम श्री नायडू को उम्मीदवार बनाये जाने की घोषणा की थी। श्री नायडू के नामांकन भरने के कुछ समय बाद श्री गोपालकृष्ण गांधी ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। इस अवसर पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी, जनता दल (यू) के शरद यादव, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी,राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल तथा तारिक अनवर, द्रमुक की कनिमोझी तथा कुछ अन्य नेता मौजूद थे।
श्री गांधी को 18 विपक्षी दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया है। इनमें जनता दल यू शामिल है जिसने राष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार राम नाथ कोविंद का समर्थन किया था। बीजू जनता दल ने आज श्री गांधी का समर्थन करने की घोषणा की जबकि राष्ट्रपति चुनाव में उसने राजग उम्मीदवार का समर्थन किया था।
उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य ही मतदान करते हैं और दोनों सदनों में विभिन्न दलों की स्थिति की देखते हुए श्री नायडु का पतला भारी लगता है। उन्हें राजग के घटक दलों के अलावा अन्नाद्रमुक तथा तेलंगाना राष्ट्र समिति जैसे कुछ अन्य दलों ने भी समर्थन देने की घोषणा की है।
नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद श्री नायडू ने कहा कि वह इस उच्च संवैधानिक पद की मर्यादा एवं गरिमा को बरकरार रखेंगे। उन्होंने कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत संसदीय लोकतंत्र हैं। उपराष्ट्रपति पद के अपने दायित्व हैं और कार्य की मर्यादाएं हैं। इस पद पर सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ. ज़ाकिर हुसैन, मोहम्मद हिदायतुल्ला, श्री आर. वेंकटरमण, डॉ. शंकरदयाल शर्मा और श्री भैरोंसिंह शेखावत आदि नेता रहे हैं। वह इन नेताओं द्वारा स्थापित गरिमापूर्ण परंपरा का निर्वाह करेंगे।
उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के अनिच्छुक होने की मीडिया रिपोर्टों को लेकर श्री नायडु ने सफाई देते हुए कहा कि उनकी माँ का जब निधन हुआ था तब वह बहुत छोटे थे। उन्होंने भाजपा को अपनी माँ माना और उसकी सेवा करते हुए इस मुकाम तक पहुंचे हैं इसलिए उन्हें इस पद पर आने के बाद पार्टी से दूर होने की पीड़ा है। उन्हें इस बात का मलाल रहेगा कि वह अब पार्टी कार्यालय नहीं जा पायेंगे। वह चाहते थे कि उनकी राजनीतिक सक्रियता के बीच श्री मोदी 2019 में दोबारा प्रधानमंत्री बनें। उसके बाद उनका सामाजिक जीवन में लौटने का मन था। लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था।
श्री गोपालकृष्ण गांधी ने कहा कि वह किसी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं हैं और एक स्वतंत्र नागरिक की हैसियत से चुनाव लड़कर उपराष्ट्रपति के रूप में देश के सामान्य व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष के डेढ़ दर्जन दलों ने उन्हें जिस जिम्मेदारी के लिए एकजुट होकर बुलाया है वह उन सबका स्वागत करते हैं लेकिन उनकी हैसियत एक निर्दलीय और स्वतंत्र नागरिक की ही है।
श्री गांधी ने कहा “इतने दलों ने मिलकर उन पर जो भरोसा जताया है वह इस देश की संस्कृति है। इससे साबित होता है कि देश के लोगों को इस पद के लिए एक आम नागरिक की जरूरत है। मैं इस भरोसे पर खरा उतरना चाहता हूं। मैं किसी के विरोध में खड़ा नहीं हूं। मैं किसी राजनीतिक दल के सिद्धांत का भी प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा हूं।
यह पूछने पर कि शिवसेना ने उन पर आतंकवादी याकूब मेमन को फांसी की सजा से बचाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है, उन्होंने कहा कि शिव सेना ने वही किया जो उसे करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि वह हमेशा फांसी दिए जाने के विरोधी रहे हैं और किसी भी तरह से मृत्युदंड का समर्थन नहीं कर सकते हैं।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र ने एक सवाल पर कहा कि उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पत्र लिखा है और भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को मौत की सजा दिए जाने के फैसले का विरोध किया है।