
बिजनौर। योगी सरकार का जिला मुख्यालयों को 24 घण्टे और तहसील मुख्यालयों को बीस घण्टे बिजली की आपूर्ति का दावा खोखला साबित हो रहा है। बिजली की अघोषित कटौती का सिलसिला बदस्तूर जारी है। न अखिलेश सरकार में बिजली का ढर्रा बदला था और न ही योगी राज में बिजली का ढर्रा बदला है। कल रात बिजली गुल रही, लोग गर्मी और उमस में तड़पते रहे और सरकार को कोसते रहे लेकन सरकार को कसेने से क्या मिलेगा? उ.प्र. पावर कारपोरेशन के अधिकारी और अभियंता जब चाहेंगे, तब बिजली देंगे, वर्ना बिजली कट रहेगी।
कल जिला संयुक्त चिकित्सालय में रोगी और उनके तीमारदार भीषण गर्मी में बिजली न आने में पंखे बंद रहने से तड़पते रहे। महिला चिकित्सालय में तो बिजली के अभाव में जच्चा दर्द और गर्मी के प्रकोप में तड़प-तड़प कर बिस्तर पर करवटें बदलती रही, नवजात शिशुओं का भी यूपी की बदहाल बिजली व्यवसथा से सामना हो गया और उन्हें भी बड़े होने पर भी बिजली संकट से जूझने की नसीहत दे गया।
बिजली आपूर्ति में अघोषित कटौती से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। लोग विशेषकर महिलाएं हाथ के पंखों अपना अखबार से हवा का भ्रम पैदा करने में जुटी रहती हैं।
बिजली की अघोषित कटौती से टेलीविजन सैट शोपीस बनकर रह गए हैं तथा फ्रिज अलमारी में बदल गए हैं। अब मेहमान को ठण्डा पानी पिलाने की परम्परा भी खत्म होती जा रही है। लोग सवाल पूछने लगे हैं कि क्या भीषण गर्मी और उसम की मार झेलने तथा बिजली की अव्यवस्था के लिए भाजपा को प्रचण्ड बहुमत दिया था और क्या एक साधु-संयासी योगी आदित्य नाथ को मुख्यमंत्री के रूप में इसलिए स्वीकार किया था कि बिजली संकट से लोगों को जूझना पड़ेगा।