
वाघेला ने की नेता प्रतिपक्ष, विधायक पद से इस्तीफे की घोषणा
गांधीनगर, 21 जुलाई। गुजरात में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान हुई क्रॉस वोटिंग से शर्मसार कांग्रेस को एक और झटका देते हुए इसके वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला ने आज पार्टी से नाता तोडऩे और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तथा विधायक पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर डाली। बाद में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने यह भी कहा कि दलगत राजनीति से अलग होने के बावजूद उन्होंने सार्वजनिक जीवन से संन्यास नहीं लिया है और इस साल गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी बड़ी भूमिका होगी। पिछले कुछ समय से बगावती तेवर अपनाने वाले 77 वर्षीय श्री वाघेला ने अपने जन्मदिन के मौके यहां टाउनहॉल में फिल्म बाहुबली के गाने की धुन और समर्थकों की ओर से ‘वाघेला तुम आगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ हैं, देखो देखो कौन आया गुजरात का शेर आयाÓ जैसे नारों के बीच अपने समर्थकों की ओर से मिले तलवार को भी हवा में लहराया। कुछ माह पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से उनकी विधानसभा में हुई औपचारिक मुलाकात के बाद से उनके कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल होने की अटकले तेज हो गयी थी। श्री वाघेला ने अपने जन्मदिन के मौके पर आयोजित सम सम्वेदना सम्मेलन में कहा कि पार्टी के अंदर से ही कुछ समय से उन्हें निकालने की साजिश चल रही थी, जिससे पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी अवगत थे। पार्टी के अनुशासन के नाम पर गला दबाने की कोशिश हो रही थी। उन्हें पार्टी में जहर पीकर रहना पड़ रहा था। उन्हें बदनाम करने के लिए उनके नाम से पार्टी के लोग ही पोस्टर लगा रहे थे, पार्टी के कागजातों से उनके नाम हटा दिये जा रहे थे। वह आज पार्टी से नाता तोडते हैं। उन्होंने कहा, ‘मंै ही आज कांग्रेस को अपने बंधन से मुक्त करता हूं। मै आज ही नेता प्रतिपक्ष पद से अपना इस्तीफा सोनिया गांधी को भेज दूंगा तथा आठ अगस्त को राज्यसभा चुनाव के बाद 15 अगस्त को विधायक पद भी छोड दूंगा।Ó ज्ञातव्य है कि कांग्रेस ने इस सम्मेलन में पार्टी विरोधी गतिविधियों की आशंका में पार्टी विधायकों और अन्य निर्वाचित प्रतिनिधियों के आने पर रोक लगा रखी थी। हालांकि इसके बावजूद उनके विधायक पुत्र महेन्द्र सिंह वाघेला तथा एक अन्य वरिष्ठ विधायक राघवजी पटेल ने इसमें भाग लिया। कई अन्य स्थानीय कांग्रेस नेता भी इसमें दिखायी दिये। श्री वाघेला ने अपने लंबे भाषण के दौरान यह भी दावा किया कि विनाशकाले विपरित बुद्धि की तर्ज पर कांग्रेस ने उन्हें 24 घंटे पहले ही बाहर का रास्ता दिखाने की कोशिश की थी। उन्होंने हालांकि कहा कि वह भाजपा अथवा अन्य राजनीतिक दल में नहीं जायेंगे न कोई नयी पार्टी बनायेंगे बल्कि अब जनता के बीच रहेंगे जो उनकी मालिक है। कांग्रेस में उनके समर्थक भी कोई भी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं। श्री वाघेला ने अपने भाषण के दौरान इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी तथा उनके राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल की बहुत प्रशंसा की। उन्होंने अपने लंबे राजनीतिक जीवन संघ से उनके जुड़ाव तथा उनके एक साल के मुख्यमंत्रित्वकाल आदि के बारे में भी विस्तार से चर्चा की। मजे की बात यह है कि उन्होंने पार्टी में उनके मुख्य हरीफ समझे जा रहे मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी की भी पूर्व में मदद करने के लिए सराहना की। हालांकि उन्होंने कम समय रहने के बावजूद कांग्रेस में सही तरीके से चुनावी तैयारी नहीं होने की बात फिर से उठायी और यह भी कहा कि ऐसा लगता है कि कांग्रेस के भीतर के ही कुछ नेताओं ने चुनाव में भाजपा को जिताने के लिए सुपारी ले रखी है। उधर कांग्रेस ने उनके सम्मेलन के बाद एक आधिकारिक बयान में कहा कि श्री वाघेला को पार्टी से निकाला नहीं गया है अथवा कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गयी है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मनीष दोषी ने यह जानकारी दी। बाद में कांग्रेस ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा कि श्री वाघेला का बर्ताव पार्टी को धोखा देने जैसा है हालांकि इसके बावजूद पार्टी चुनाव जीतेगी। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने नयी दिल्ली में दावा किया कि श्री वाघेला मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी को हटा कर स्वयं को इस पद पर रखने की मांग की थी जिसे पार्टी ने अस्वीकार कर दिया था। श्री वाघेला ने स्वयं पार्टी छोडने का निर्णय लिया है, उन्हें निकाला नहीं गया है। उधर पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तथा कोर कमेटी के सदस्य सिद्धार्थ पटेल ने कहा कि श्री वाघेला के कार्यक्रम में बहुत कम विधायकों ने भाग लिया। उन पर कार्रवाई के बारे में पार्टी विचार कर रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी ने कहा कि वह पार्टी छोडने के बाद भी श्री वाघेला का सम्मान करते रहेंगे। श्री वाघेला के विधायक पुत्र महेन्द्र सिंह वाघेला ने कहा कि वह स्वाभाविक रूप से अपने पिता के साथ रहेंगे। ज्ञातव्य है कि श्री वाघेला के पार्टी छोडने के साथ ही एक अटकलों के एक लंबे दौर का पटाक्षेप हो गया है। लंबे समय से उनके कांग्रेस छोडऩे तथा या तो भाजपा में शामिल होने अथवा नयी पार्टी बनाने की अटकले जारी थीं। उधर उनके इस्तीफे के बाद से कांग्रेस के दो फाड़ होने के भी आसार हैं। विधायक श्री रावघजी पटेल ने कहा कि उन्होंने वर्तमान नेता प्रतिपक्ष के जन्मदिन के कार्यक्रम में भाग लेेकर कोई अनुशासन भंग नहीं किया है।
अंबिका सोनी ने महासचिव पद छोड़ा
नई दिल्ली, 21 जुलाई। कांग्रेस की महासचिव अंबिका सोनी ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड तथा जम्मू कश्मीर की प्रभारी महासचिव पद की जिम्मेदारी से मुक्त करने को कहा है। कांग्रेस की महासचिव अंबिका सोनी ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड तथा जम्मू कश्मीर की प्रभारी महासचिव पद की जिम्मेदारी से मुक्त करने को कहा है। हालांकि उन्होंने पार्टी से अपने इस्तीफे की खबरों से इंकार किया है। अंबिका ने बताया कि उन्होंने पाटी नेतृत्व से स्वास्थ्य कारणों से उनके दायित्वों को कम करने के लिए कहा था। बता दें कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि अंबिका सोनी ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा इस्तीफे(पार्टी से) का कोई सवाल ही नहीं है. मैंने पार्टी नेतृत्व से कहा था कि मेरे स्वास्थ्य के कारण पार्टी में वह मेरे दायित्वों को हल्का करें। उन्होंने कहा कि नई नियुक्तियां होने तक वह अपनी जिम्मेदारियां निभाती रहेंगी। अंबिका ने कहा कि उन्होंने पिछले साल ही पार्टी नेतृत्व से कहा था कि हिमाचल प्रदेश में इस साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं।
स्वास्थ्य के कारण तीन पर्वतीय राज्यों में घूमना उनके लिए मुश्किल है। बहरहाल वह पार्टी महासचिव एवं राज्यों की प्रभारी बनी रहेंगी। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा हम उनके इस्तीफे के बारे में हमारे विरोधियों द्वारा फैलायी जा रही अटकलों का कड़ा विरोध करते हैं।
एक साल पहले अंबिका सोनी ने पार्टी नेतृत्व से अनुरोध किया था कि उनकी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उनके दायित्वों को कम किया जाए। पार्टी ने हमेशा उनके अनुभव एवं कुशाग्रता का उपयोग किया है और करती रहेगी।
कांग्रेस नेतृत्व कुछ नये चेहरों को प्रमुख भूमिका में लाकर पार्टी के पुनर्गठन प्रक्रिया में लगी है। यह 15 अक्तूबर को संगठनात्मक चुनाव खत्म होने से पहले पूरा किया जा रहा है।