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हंद महासागर में गश्त लगा रहे चीनी युद्धपोत,
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इंडियन नेवी की कई परियोजनाओं में खामियां
नई दिल्ली, 22 जुलाई। भारत का अपने दो पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद चल रहा है। वहीं डोकलाम में जारी विवाद के बाद हिन्द महासागर में चीनी युद्धपोत गश्त लगा रहे हैं। इस बीच नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारतीय सेना के पास युद्ध की स्थिति में सिर्फ 10 दिनों का गोला-बारूद भी उपलब्ध है। इतना ही नहीं कैग ने अपनी रिपोर्ट में नौसेना को भी आड़े हाथों लिया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, नौसेना ने चार पनडुब्बी रोधी वाहक युद्धक पोत के निर्माण में काफी देर की है। संसद में पेश की गई कैग की रिपोर्ट में कहा गया कि नौसेना को सुपुर्द किए गए चार युद्धक पोतों में जरूरी अस्त्र एवं सेंसर प्रणाली नहीं लगाई गई, जिसके कारण वे अपनी पूरी क्षमता से प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं जिसकी परिकल्पना की गई थी। कैग ने नौसेना के नौसेना डिजाइन निदेशालय की भी वाहक पोत की डिजाइन को अंतिम रूप देने में विलंब के लिए आलोचना करते हुए कहा कि स्वीकत डिजाइन में 24 बदलाव किए गए। सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रम गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एवं इंजीनियर्स लिमिटेड को परियोजना के लिए आशय पत्र 2003 में जारी किया गया था किन्तु पोत की डिजाइन में में व्यापक बदलाव 2008 तक चलता। नौसेना को पहला वाहक पोत जुलाई 2014 और दूसरा नवंबर 2015 में सौंपा गया। परियोजना के अनुबंध के अनुसार तीसरे वाहक पोत जुलाई 2014 में चौथा अप्रैल 2015 में सौंपा जाना था। उधर,आस्ट्रेलियाई रक्षा सेना (एडीएफ) ने आज जानकारी दी कि अमेरिका, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच आस्ट्रेलियाई तटीय क्षेत्र में जारी सैन्य अभ्यास पर एक चीनी खुफिया जहाज नजर रख रहा है। एडीएफ ने एक बयान में कहा कि तालिसमैन साबरे वार गेम्स नामक इस सैैन्य अभ्यास पर चीन का एक खुफिया जहाज उत्तर पूर्व तटीय क्षेत्र से नजर रखे हुए था। यह जहाज 815 डोंगडियाओ श्रेणी का है। यह आस्ट्रेलियाई तटीय क्षेत्र से हालांकि बाहर ही था लेकिन आस्ट्रेलिया के आर्थिक अनन्य क्षेत्र की सीमा में था। बयान में कहा गया है कि इस जहाज की मौजूदगी से सैन्य अभ्यास पर कोई असर नहीं पड़ा है और आस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रावधानों के तहत सभी के विचरण के अधिकार का सम्मान करता है। यह सैन्य अभ्यास वर्ष में दो बार आयोजित किया जाता है और इस अभ्यास में तीनों देशों के 30 हजार से अधिक सैनिक हिस्सा ले रहे हैं। विवादित चीनी क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी क्षेत्रीय पड़ोसियों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।