नीतीश का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा, महागठबंधन टूटा…

पटना, 26 जुलाई। बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) की प्राथमिकी के बाद से राज्य में सत्तारूढ़ महागठबंधन के दो बड़े घटक राष्ट्रीय जनता दल(राजद) और जनता दल यूनाइटेड(जदयू) के बीच उत्पन्न गतिरोध का पटाक्षेप आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे के साथ हो गया, श्री कुमार ने आज शाम जदयू विधायक दल की बैठक के तुरंत बाद राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी को अपना त्याग पत्र सौंप दिया। राज्यपाल ने भी श्री कुमार का इस्तीफा स्वीकार कर लिया और उन्हें अगली व्यवस्था होने तक काम करते रहने को कहा है। इससे पूर्व जदयू विधायक दल की बैठक में श्री कुमार ने अपने इस्तीफे की घोषणा की और इसके बाद राज्यपाल से मिलने के लिए समय मांगा था। श्री कुमार ने राज्यपाल से मिलने से पहले फोन कर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और महागठबंधन के एक अन्य घटक कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार मामलों के प्रभारी सी पी जोशी को अपने इस्तीफे की जानकारी दे दी थी श्री कुमार ने इस्तीफा देकर लौटने के बाद राजभवन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में कहा ‘मैंने अंतर्रात्मा की आवाज मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है। महागठबंधन की सरकार 20 महीने से भी ज्यादा समय तक चलाई है और मुझसे जितना संभव हुआ, हमने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए जनता से चुनाव के समय किये गये वादों को पूरा करने की कोशिश की।Ó उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में जिस तरह की चीजें सामने आईं, उसमें उनके लिए महागठबंधन का नेतृत्व करना और काम करना संभव नहीं था। कार्यवाहक मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने किसी का इस्तीफा नहीं मांगा था। उनकी राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से भी बात होती रही और श्री तेजस्वी यादव भी उनसे मिले थे। इस दौरान उन्होंने उन्हें यही कहा कि जो भी उनपर आरोप लगे हैं, उस पर उन्हें स्पष्टीकरण देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपने समर्थकों के बीच यह दलील दी जा सकती है कि उन्हें फंसाने के लिए आरोप लगाये गये हैं , लेकिन इस मामले को लेकर आमजनों के बीच में जो एक अवधारणा बन रही है, उसको ठीक करने के लिए स्पष्टीकरण जरूरी है लेकिन उनकी (लालू-तेजस्वी) ओर से वह भी नहीं हो रहा था।
श्री कुमार ने कहा कि इस मामले को लेकर राज्य में माहौल ऐसा बन गया था कि हर ओर सिर्फ इसी बात को लेकर चर्चा थी। ऐसे में काम करना संभव नहीं था। हालांकि इस फैसले पर पहुंचने से पहले उन्होंने हर बिंदु पर सोच विचार किया और रास्ता निकालने की कोशिश की। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी मुलाकात की और उन्हें अध्यादेश फाड़े जाने की घटना को भी याद दिलाया। उन्हें उम्मीद थी कि समस्या का हल हो जायेगा।
कार्यवाहक मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संकट नहीं है बल्कि अपने आप लाया गया संकट है। यदि आरोप लगा है तो उसका उचित उत्तर देना चाहिए था और स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए थी। स्पष्ट कर देते तो उन्हें भी एक आधार मिलता लेकिन इतने दिनों तक इंतजार किया और समझा कि वे कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं, कुछ कहना नहीं चाहते। ऐसे में वह तो उनकी ओर से जवाब नहीं दे सकता था।
श्री कुमार ने कहा कि वह सरकार का नेतृत्व कर रहे थे और यदि सरकार के अंदर के व्यक्ति के बारे में कुछ बातें कही जाती हैं तो ऐसी स्थिति में सरकार कैसे चला सकते थे। उन्होंने कहा जब तक चला सकते थे, चला लिया। अब स्थिति मेरे स्वभाव या मेरे काम करने के तरीके के अनुरूप नहीं है। इसलिए इस्तीफा दे दिया।
कार्यवाहक मुख्यमंत्री ने कहा कि वह हमेशा गांधीजी की बातों को उद्धृत करते रहे हैं कि जरूरत की पूर्ति हो सकती है लेकिन लालच की नहीं। गलत तरीके से संपत्ति अर्जित करना ठीक नहीं होता। कफन में भी पॉकेट नहीं होता। जो भी है, यहीं रहेगा। ऐसी परिस्थिति में लोग समझ सकते हैं कि उनके पास रास्ते ही क्या बचे थे। उन्होंने कहा कि गठबंधन और विपक्षी एकता की जहां तक बात है तो वह इसके पक्षधर रहे हैं लेकिन इसका एजेंडा भी तो होना चाहिए।

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