जीएसटी ने अर्थव्यवस्था को बदल दिया – मोदी…

नई दिल्ली, 30 जुलाई। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के करीब एक महीने बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि जीएसटी ने अर्थव्यवस्था को बदल दिया है और यह सहयोगात्मक संघवाद का एक उदाहरण है जहां नयी परोक्ष कर प्रणाली से जुड़े सभी फैसलों में राज्य साझेदार हैं। मोदी ने कहा कि इतने देश में इतने बड़े मानदंड पर इतना बड़ा परिवर्तन और इतने करोड़ों लोगों की सहभागिता के साथ इतने विशाल देश में उसे लागू करना और सफलतापूर्वक आगे बढऩा, ये अपने-आप में सफलता की एक बहुत बड़ी ऊंचाई है। यह दुनियाभर में विश्वविद्यालयों के लिए केस स्टडी बन सकती है। उन्होंने कहा कि जीएसटी को लागू करते समय सरकार की प्राथमिकता है कि गरीब आदमी की थाली पर बोझ नहीं पडऩा चाहिए। आकाशवाणी पर अपने ‘मन की बातÓ रेडियो कार्यक्रम में संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने देश के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ के हालात जैसे अन्य कई विषयों की भी बात की और स्वतंत्रता दिवस से पहले देश के स्वतंत्रता आंदोलन का भी उल्लेख किया। आधे घंटे के प्रसारण में प्रधानमंत्री ने त्योहारों के समय देश के गरीब लोगों द्वारा बनाई जाने वाली पर्यावरण अनुकूल सामग्री के इस्तेमाल पर भी जोर दिया। उन्होंने गत दिनों महिला विश्व कप में भारतीय क्रिकेट टीम के प्रदर्शन की भी तारीफ की। गत एक जुलाई को देश में लागू हुई जीएसटी व्यवस्था का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा एक देश-एक कर। कितना बड़ा सपना पूरा हुआ है। जीएसटी को एक कर सुधार से भी अधिक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह नयी संस्कृति लाने वाला है। उन्होंने कहा जीएसटी लागू हुए करीब एक महीना हुआ है और उसके फायदे दिखने लगे हैं। और मुझे बहुत संतोष होता है, खुशी होती है, जब कोई गरीब मुझे चि_ी लिख कर कहता है कि जीएसटी के कारण एक गरीब की जरूरत की चीजों में कैसे दाम कम हुए हैं, चीजें कैसे सस्ती हुई हैं। मोदी ने कहा जीएसटी ने अर्थव्यवस्था को बदल दिया है। उन्होंने कहा जीएसटी, जिसे मैं ‘गुड एंड सिंपल टैक्सÓ कहता हूं, सचमुच में उसने हमारी अर्थव्यवस्था पर एक बहुत ही सकारात्मक प्रभाव बहुत ही कम समय में उत्पन्न किया है। उन्होंने कहा कि जिस तेजी से सुगम रूपांतरण, परिवर्तन हुआ है और नये पंजीकरण हुए हैं, उससे देश में नया विश्वास आया है।

जीएसटी को सहयोगात्मक संघवाद का उदाहरण बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसमें सभी राज्य साझेदार हैं और उनकी भी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, ”सारे फैसले केंद्र और राज्यों ने सर्वसम्मति से लिये।ÓÓ प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भारत के सामूहिक प्रयासों की सफलता का उदाहरण है और ऐतिहासिक उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि यह केवल कर सुधार नहीं बल्कि ऐसा कदम है जो ईमानदारी की नयी संस्कृति को ताकत प्रदान करेगा। एक तरह से यह सांस्कृतिक सुधार का अभियान है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इतनी बड़ी कवायद अपने आप में एक मिसाल है और निश्चित रूप से दुनिया इसका अध्ययन करेगी।
उन्होंने कहा कि अगर पूर्वोत्तर, दूर-सुदूर पहाड़ों में, जंगलों में रहने वाला कोई व्यक्ति चि_ी लिखता है कि शुरू में डर लगता था कि पता नहीं क्या है; लेकिन अब जब मैं उसे सीखने-समझने लगा, तो मुझे लगता है, काम पहले से ज़्यादा आसान हो गया है। व्यापार और आसान हो गया। मोदी ने कहा, ”और सबसे बड़ी बात है, ग्राहकों का व्यापारी के प्रति भरोसा बढऩे लगा है।ÓÓ उन्होंने कहा, ”अभी मैं देख रहा था कि परिवहन और लॉजिस्टिक क्षेत्र पर कैसे जीएसटी का असर पड़ा है। कैसे अब ट्रकों की आवाजाही बढ़ी है। दूरी तय करने में समय कैसे कम हो रहा है। कैसे राजमार्ग अवरोध मुक्त हो गये हैं।ÓÓ उन्होंने कहा, ”ट्रकों की गति बढऩे के कारण प्रदूषण भी कम हुआ है। सामान भी बहुत जल्दी से पहुँच रहा है। ये सुविधा तो है ही, लेकिन साथ-साथ आर्थिक गति को भी इससे बल मिलता है।Ó’

मिट्टी के गणेश बनायें,पर्यावरण बचायें

नयी दिल्ली, 30 जुलाई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गणेश चतुर्थी पर मूर्ति विसर्जन के कारण पर्यावरण को होने वाले नुकसान को देखते हुए लोगों से गणेश भगवान की मिट्टी की मूर्ति बनाने को कहा है। साथ ही उन्होंने खादी और रेशम से बनी राखियों के इस्तेमाल की भी अपील की है। श्री मोदी ने आकाशवाणी पर मन की बात कार्यक्रम में कहा कि इस बार सार्वजनिक गणेशोत्सव का 125 वां वर्ष है। देश वासियों को इस पर्व को उसी भावना से मनाना चाहिए जिससे लोकमान्य तिलक जी ने इसका प्रारंभ किया था। इसका उद्देश्य समाज में एकता और सामूहिकता के बारे में जागरूकता फैलाने का था। उन्होंने कहा हम फिर से एक बार गणेशोत्सव के इस वर्ष में निबंध स्पद्र्घायें करें, चर्चा सभायें करें,लोकमान्य तिलक के योगदान को याद करें। साथ ही पर्यावरण की रक्षा के लिए गणेश भगवान की मिट्टी की मूर्ति बनायें। उन्होंने कहा कि इसका एक फायदा यह भी होगा कि जो गऱीब कारीगर हैं, गऱीब जो कलाकार हैं, जो मूर्तियां बनाते हैं, उनको रोजग़ार मिलेगा, गऱीब का पेट भरेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा ,” आइए, हम हमारे उत्सवों को गऱीब के साथ जोड़ें, गऱीब की अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ें, हमारे त्योहार का आनंद गऱीब के घर का आर्थिक त्योहार बन जाए, आर्थिक आनंद बन जाए – ये हम सब का प्रयास रहना चाहिए।” प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था एक सामाजिक अर्थशास्त्र है और त्यौहार तथा उत्सव खुशी के साथ साथ सामाजिक सुधार तथा गरीबी की आर्थिक जिंदगी से सीधा संबंध रखते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ ही दिन के बाद रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, उसके बाद गणेश उत्सव, उसके बाद चौथ चन्द्र, फिर अनंत चतुर्दशी, दुर्गा पूजा, दिवाली आने वाली है और यही समय है जब गऱीब के लिये, आर्थिक उपार्जन के लिये अवसर मिलता है। श्री मोदी ने कहा , ” राखी के कई महीनों पहले से सैकड़ों परिवारों में छोटे-छोटे घरेलू उद्योगों में राखियाँ बनाना शुरू हो जाती हैं। खादी से लेकर के रेशम के धागों की, न जाने कितनी तरह की राखियाँ और आजकल तो लोग घर में बनी राखियों को ज्यादा पसंद करते हैं। राखी बनाने वाले, राखियाँ बेचने वाले, मिठाई वाले – हज़ारों-सैकड़ों का व्यवसाय एक त्योहार के साथ जुड़ जाता है। गऱीब भाई-बहनों के परिवार इसी से तो चलते हैं। हम दीपावली में दीप जलाते हैं, सिफऱ् वो प्रकाश-पर्व है, ऐसा ही नहीं है, वो सिफऱ् त्योहार है, घर का सुशोभन है, ऐसा नहीं है। उसका सीधा-सीधा सम्बन्ध छोटे-छोटे मिट्टी के दिये बनाने वाले उन गऱीब परिवारों से है। लेकिन जब आज मैं त्योहारों और त्योहार के साथ जुड़े गऱीब की अर्थव्यवस्था की बात करता हूँ, तो साथ-साथ मैं पर्यावरण की भी बात करना चाहूँगा।

नये भारत के निर्माण का संकल्प ले हर भारतवासी

नयी दिल्ली, 30 जुलाई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों को ‘अगस्त क्रांति’ की याद दिलाते हुए इस स्वतंत्रता दिवस पर हर नागरिक से नये भारत के निर्माण में योगदान देने का संकल्प लेने तथा अगले पांच वर्षों में इसे सिद्ध करने का अभियान चलाने को कहा है। श्री मोदी ने आकाशवाणी पर ‘मन की बातÓ कार्यक्रम में कहा कि देश इस वर्ष 1942 की अगस्त क्रांति की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है जिसमें हर भारतीय द्वारा लिये गये संकल्प के चलते पांच वर्ष बाद करोड़ों लोगों का सपना साकार हुआ था और देश को आजादी मिली थी। उन्होंने कहा कि आज से पांच वर्ष बाद 2022 में देश आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मनायेगा ऐसे में ये पांच साल देश के भविष्य के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं। नये भारत के निर्माण के लिए यह देश के सामने एक बार फिर संकल्प लेने और उसे सिद्ध करने का मौका है। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त को हर भारतवासी संकल्प ले कि वह राष्ट्र के निर्माण में कुछ न कुछ योगदान देगा। हमें इस वर्ष को संकल्प वर्ष बनाना है।
प्रधानमंत्री ने कहा ,” अगर सवा-सौ करोड़ देशवासी 9 अगस्त, क्रांति दिवस को याद करके, इस 15 अगस्त को हर भारतवासी संकल्प करे, व्यक्ति के रूप में, नागरिक के रूप में – मैं देश के लिए ” व्यक्ति के रूप में, नागरिक के रूप में – मैं देश के लिए इतना करके रहूँगा, परिवार के रूप में ये करूँगा, समाज के रूप में ये करूँगा, गाँव और शहर के रूप में ये करूँगा, सरकारी विभाग के रूप में ये करूँगा, सरकार के नाते ये करूँगा।

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