भारत डोकलाम से सेना हटाये-चीन…

बीजिंग, 02 अगस्त। चीन ने बुधवार को कहा कि उसने भारत को अपने इस दृढ़ रुख की सूचना दे दी है कि मौजूदा गतिरोध ख़त्म करने के लिए उसे बिना किसी शर्त के सिक्किम क्षेत्र के डोकलाम से अपनी सेना तत्काल हटा कर ठोस कार्रवाई करनी होगी। चीनी विदेश मंत्रालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के स्टेट काउंसिलर यांग जेइची के बीच 28 जुलाई को हुई मुलाकात का पहली बार ब्योरा देते हुए बताया कि दोनों अधिकारियों ने ब्रिक्स सहयोग, द्विपक्षीय रिश्तों और प्रासंगिक प्रमुख समस्याओं पर चर्चा की थी। डोभाल ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के साझे मंच ब्रिक्स में हिस्सा लेने के लिए पिछले महीने बीजिंग में थे। डोभाल और यांग दोनों भारत और चीन के बीच सीमा वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि भी हैं। चीन के विदेश मंत्रालय ने डोकलाम से संबंधित गतिरोध पर दोनों देशों के बीच चर्चा के बारे में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि यांग ने डोभाल से उनके आग्रह पर और तौर-तरीके के अनुरूप द्विपक्षीय मुलाकात की। डोकलाम पर गतिरोध तब शुरू हुआ जब चीन ने उस इलाके में सड़क बनाना शुरू किया। चीनी विदेश मंत्रालय ने इंगित किया कि डोभाल और यांग के बीच वार्ता के दौरान कोई प्रमुख प्रगति नहीं हुई। मंत्रालय ने कहा यांग चेइची ने चीन-भारत सीमा के सिक्किम खंड पर चीन की सरज़मीन में भारतीय सीमा बल के अतिक्रमण पर चीन के कठोर रुख और सुस्पष्ट अनिवार्यता जताई। इस मुद्दे पर भारत का रुख पिछले महीने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने स्पष्ट किया था।
उन्होंने सीमा पर गतिरोध के शांतिपूर्ण समाधान की हिमायत करते हुए कहा था कि इस पर किसी वार्ता के शुरू करने के लिए पहले दोनों पक्षों को अपनी-अपनी सेनाए हटानी चाहिए। भारत ने चीन सरकार को ये भी सूचित किया है कि उस क्षेत्र में सड़क निर्माण से यथास्थिति में उल्लेखनीय बदलाव आएगा जिसके गंभीर सुरक्षा निहितार्थ होंगे।
चीनी विदेश मंत्रालय ने बताया कि डोभाल के साथ वार्ता में यांग ने ‘भारत से आग्रह किया कि वो चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय रिश्तों को संचालित करने वाले बुनियादी नियम-कायदों का सम्मान करे और बिना कोई शर्त जोड़े अतिक्रमणकारी भारतीय सीमा बलों को भारतीय सरज़मीन में वापस बुला ले और ठोस कार्रवाइयों से मौजूदा प्रकरण हल करे।
चीनी विदेश मंत्रालय ने 15 पन्नों का एक फैक्ट शीट भी दिया जिसमें नक्शे हैं और 16 जून से शुरू हुए गतिरोध से जुड़े दीगर ब्योरे हैं। उल्लेखनीय है कि सड़क निर्माण पर भूटान ने चीन के समक्ष विरोध जताया था और कहा था कि ये क्षेत्र उसका है। उसने चीन पर समझौतों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था।
चीनी विदेश मंत्रालय की तरफ से दिए गए फैक्ट शीट में कहा गया है कि 18 जून को तकरीबन 270 भारतीय सैनिक चीनी सरज़मीन पर सड़क निर्माण बाधित करने के लिए चीनी इलाके में 100 मीटर से ज्यादा प्रवेश कर गए जिससे क्षेत्र में तनाव व्याप्त है।
इसमें कहा गया है, एक समय 400 से ज्यादा लोगों ने तीन खेमे लगा दिए और चीनी सरजमीन में 180 मीटर से ज्यादा आगे चले आए। चीनी विदेश मंत्रालय की तरफ से दिए गए फैक्ट शीट में कहा गया है जुलाई के अंत में, अब भी वहां भारतीय सीमा बल के 40 से ज्यादा सैनिक और एक बुलडोजर अवैध रूप से चीनी सरजमीन पर टिके हैं।
भारत ने सड़क निर्माण पर चिंता व्यक्त की थी और अंदेशा जताया था कि इससे चीनी सेना को पूर्वात्तर राज्यों तक भारत की पहुंच काटने का मौका मिल सकता है। इस क्षेत्र को भारत डोका ला बताता है। भूटान इसे डोकलाम के नाम से मान्यता देता है जबकि चीन का दावा है कि ये उसके दोंगलांग क्षेत्र का एक हिस्सा है।
जम्मू-कश्मीर से ले कर अरुणाचल प्रदेश तक भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा है। उसमें से 220 किलोमीटर का खंड सिक्किम में पड़ता है। फैक्ट शीट में कहा गया है कि गतिरोध उस इलाके में हुआ है जहां स्पष्ट और सीमांकित सीमा है।
इसमें कहा गया है ये असीमांकित सीमा वाले क्षेत्रों में दोनों पक्षों के सीमा बलों के बीच अतीत के विवादों से बुनियादी रूप से अलग करता है। भारतीय सीमा बल का पहले से ही सीमांकित सीमा पार करना एक बहुत ही गंभीर मामला है क्योंकि ये चीन की संप्रभूता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करता है।
फैक्ट शीट में कहा गया है कि कोई संप्रभू देश इस तरह की कोशिश बरदाश्त नहीं कर सकता है। इसमें कहा गया है, वास्तविकता ये है कि ये भारत है जिसने बार-बार चीन-भारत सीमा के सिक्किम सेक्टर में यथास्थिति बदलने का प्रयास किया है जो चीन के लिए गंभीर सुरक्षा ख़तरा पेश करता है।

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