सिंधु जल संधि पर भारत की बड़ी जीत, पाक को फिर झटका…

हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर प्लांट बनाने की मंजूरी
दरअसल वल्र्ड बैंक ने भारत को झेलम और चिनाब नदी पर हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर प्लांट बनाने की मंजूरी दे दी है। भारत और पाकिस्तान की ओर से बुलाई गई सेक्रेटरी स्तर की बैठक के बाद वल्र्ड बैंक ने ये फैसला लिया।

सिंधु जल संधि के मामले में भारत को एक बड़ी जीत हासिल हुई है, वहीं हर बार की तरह पाकिस्तान को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी है।
वल्र्ड बैंक ने आज कहा कि सिंधु जल संधि के तहत भारत को झेलम और चिनाब नदियों की सहायक नदियों पर कुछ शर्तों के साथ हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर के निर्माण की अनुमति दे दी गई है। वल्र्ड बैंक ने अपनी फैक्टशीट में कहा है कि भारत जिस प्लांट पर काम कर रहा है वह झेलम और चिनाब नदी पर है। इस संधि के तहत इन नदियों के साथ-साथ पाकिस्तान का पश्चिम की नदियों के पानी पर भी हक बनता है। इन सबके बावजूद वल्र्ड बैंक ने कहा है कि भारत अपनी योजना को संधि तोड़े बिना पूरा कर सकता है। आईडब्ल्यूटी को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच सचिव स्तर की बातचीत खत्म होने पर जारी एक फैक्टशीट में कहा गया है कि पाकिस्तान किशनगंगा (330 मेगावॉट) और रैटले(850 मेगावॉट) हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट के निर्माण का विरोध कर रहा है। इन संयंत्रों का निर्माण भारत कर रहा है। दोनों संयंत्रों के तकनीकी डिजाइन संधि के प्रतिकूल है या नहीं, इस बात को लेकर दोनों देश असहमत हैं। इस संदर्भ में आईडब्ल्यूटी ने इन दोनों नदियों और सिंधु को ‘पश्चिमी नदियांÓ घोषित किया है, जिसका पाकिस्तान असीमित इस्तेमाल कर सकता है। गौरतलब है कि भारत झेलम और चिनाब नदी पर हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर प्लांट बना रहा है, जिस पर पाकिस्तान ने आपत्ति जाहिर की थी और सिंधु जल समझौते को लेकर वल्र्ड बैंक के सामने मामले में सुनवाई की अपील की थी। वल्र्ड बैंक ने कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही सितंबर में वाशिंगटन में सिंधु जल समझौते पर चर्चा के लिए तैयार हो गए हैं। इसके साथ ही वल्र्ड बैंक ने भारत को 330 वॉट के किशनगंगा और 850 वॉट के रैटले हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट के निर्माण को मंजूरी दे दी है।

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