
रोहतक/नयी दिल्ली,28 अगस्त। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने साध्वी बलात्कार मामले में सिरसा के डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को आज 20 साल की सज़ा सुनायी और 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। सीबीआई के प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने नयी दिल्ली में स्पष्ट किया कि दो बलात्कार मामलों में राम रहीम को 10-10 साल की सजा सुनायी गयी है, जो अलग-अलग चलेगी। एक सजा खत्म होने के बाद दूसरी सजा शुरू होगी, इस तरह उसे 20 साल जेल में रहना पड़ेगा। न्यायाधीश जगदीप सिंह ने सुनारिया जिला जेल में स्थापित अस्थायी अदालत में बलात्कार के इन दोनों मामलों में 15-15 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। इस राशि में से 14-14 लाख रुपये दोनों पीडि़ता को मिलेंगे। इससे पहले सजा की अवधि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रही। पहले यह खबर आई थी कि राम रहीम को 10 साल की सजा और 65 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है, लेकिन बाद में सीबीआई ने नयी दिल्ली में स्थिति स्पष्ट की कि दोनों बलात्कार मामलों में अलग-अलग सजा सुनायी गयी है। सजा की एक अवधि खत्म होने के बाद दूसरी शुरू होगी। राम रहीम के वकील एस के नरवाना ने कहा है कि फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील की जायेगी। सीबीआई अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 506 और 509 के तहत डेरा प्रमुख को सजा सुनायी। सज़ा का एलान होते ही डेरा प्रमुख अदालत के कटघरे में ही फूट-फूटकर रोने लगा। न्यायाधीश ने जेल अधिकारियों को उसे कैदी की वर्दी देने का आदेश दिया। न्यायाधीश ने कहा कि राम रहीम को इसके अलावा और कोई कपड़ा पहनने के लिए नहीं दिया जाये। न्यायाधीश ने डेरा प्रमुख को जेल की बैरक में ले जाने से पूर्व उसकी चिकित्सा जांच कराने को भी कहा। राम रहीम को जेल में कैदी नम्बर 1997 दिया गया है।
राम रहीम को सजा सुनाते ही 15 वर्ष पुराने इस मामले की पीडि़ताओं को इंसाफ मिल गया। सज़ा का एलान होते ही डेरा प्रमुख अदालत के कटघरे में ही फूट-फूट कर रोने लगा। न्यायाधीश ने जेल अधिकारियों को उसे कैदी की वर्दी देने तथा इसके अलावा और कोई उसका कपड़ा जेल के अंदर नहीं ले जाने के भी निर्देश दिये। न्यायाधीश ने डेरा प्रमुख को जेल के बैरक में ले जाने से पूर्व उसकी चिकित्सा जांच कराने को भी कहा।
राम रहीम को जेल में कैदी नम्बर 1997 दिया गया है। इससे पहले सीबीआई न्यायाधीश नेे पंचकूला में इस मामले में गत 17 अगस्त को दोनों पक्षों की जिरह पूरी होने के बाद फैसला सुनाने के लिये 25 अगस्त की तारीख तय की थी। विशेष अदालत ने 25 अगस्त को डेरा प्रमुख को इस मामले में दोषी करार दिया था और सज़ा सुनाने के लिये 28 अगस्त की तारीख मुकर्रर की थी। दोषी करार दिये जाने के बाद डेरा प्रमुख को हेलीकाप्टर से रोहतक की सुनारिया जिला जेल लाया गया था।
डेरा प्रमुख को अदालत द्वारा दोषी करार दिये जाने के उपरांत हरियाणा के पंचकूला और सिरसा तथा पंजाब के अनेक शहरों में डेरा समर्थक भड़क उठे तथा उन्होंने बड़े पैमाने पर हिंसा, आगजनी और तोडफ़ोड़ की थी। इस दौरान उन्होंने मीडिया, पुलिस, फायर बिग्रेड तथा आम लोगों के वाहनों, सार्वजनिक एवं निजी सम्पत्तियों को आग के हवाले कर दिया था।
पंचकूला में हिंसा और सुरक्षा बलों की फायरिंग में 32 लोगों की मौत हो गयी थी। छह लोग सिरसा में मारे गये थे। इन घटनाओं में लगभग 269 लोग घायल हुये थे। मृतकों में अधिकतर डेरा समर्थक थे। फिर हिंसा न होने देने तथा
सुरक्षा के मद्देनजऱ पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने डेरा प्रमुख को सज़ा सुनाने के लिये सीबीआई की पंचकूला अदालत को एक दिन के लिये सुनारिया जेल स्थानांतरित करने के आदेश दिये थे जिसके तहत न्यायाधीश जगदीप सिंह पूर्वाह्न पंचकूला से हेलीकॉप्टर से यहां पहुंचे।
विशेष न्यायाधीश ने पंचकूला की तरह यहां भी अपराह्न ढ़ाई बजे अदालती कार्यवाही शुरू की। उन्होंने अभियोजन तथा बचाव पक्षों को इस मामले में तथा सज़ा को लेकर अपन पक्ष रखने के लिये 10-10 मिनट का समय दिया।
सीबीआई ने अदालत से डेरा प्रमुख को अधिकतम सज़ा देने की मांग की। उसके वकील ने कहा कि डेरा में केवल एक साध्वी से नहीं बल्कि अनेक महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ है लेकिन अन्य सामने नहीं आई हैं। इन महिलाओं के साथ लगभग तीन साल तक दुष्कर्म होता रहा।
बचाव पक्ष के वकील ने डेरे द्वारा किये गये रिकार्ड रक्तदान, पौधारोपण, सफाई, निशुल्क उपचार, अनाथ बच्चों और गरीबों की मदद को शिक्षा क्षेत्र और आम जनता की भलाई के लिये किये जा रहे कार्यों तथा डेरा प्रमुख के स्वास्थ्य का हवाला देते हुये उस पर नरमी बरतने का अनुरोध किया। इस दौरान डेरा प्रमुख ने न्यायाधीश की ओर हाथ जोड़ कर उन्हें माफ करने की गुहार लगाई और उनकी आंखों में आंसू छलक पड़े।