
नयी दिल्ली, 30 अगस्त। सरकार ने सेना की कार्य प्रणाली में सुधारों तथा खर्च में संतुलन बनाने के उद्देश्य से आजादी के बाद का सबसे बड़ा कदम उठाते हुए गैर जरूरी विभागों को बंद करने तथा कुछ को आपस में मिलाने का निर्णय लिया है। सेना की लड़ाकू क्षमता बढ़ाने के लिए लगभग 60 हजार अधिकारियों और जवानों को जरूरत के हिसाब से लड़ाकू भूमिका में तैनात किया जायेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज यहां हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सेना की कार्य प्रणाली में सुधारों तथा खर्च में संतुलन के बारे में सुझाव देने वाली समिति की 65 सिफारिशों को मंजूरी दी गयी। बैठक के बाद रक्षा मंत्री अरूण जेटली ने संवाददाताओं को बताया कि सेवा निवृत लेफ्टिनेंट जनरल डी बी शेतकर की अध्यक्षता में गत वर्ष मई में एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने गत दिसम्बर में अपनी रिपोर्ट में 99 सिफारिशें की थी जिसमें से 65 सिफारिशों को रक्षा मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि ये सिफारिशें चरणबद्ध तरीके से लागू की जायेंगी और वर्ष 2019 के अंत तक ये पूरी तरह लागू हो जायेंगी। इनके लागू होने के मद्देनजर 57 हजार अधिकारियों और जवानों को लड़ाकू भूमिका और संचालन तथा अन्य कामों में तैनात किया जा सकेगा। कुछ विभागों से जुड़े सिविल कर्मचारियों को दक्षता बढ़ाने के लिए सशस्त्र सेनाओं की अन्य शाखाओंं में भेजा जायेगा। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री के तौर पर उन्होंने सेना तथा अन्य संबंधित पक्षों से इस रिपोर्ट और उसके परिणामों के बारे में विस्तार से चर्चा की है। सिफारिशों में सबसे बड़ा फैसला सैन्य डाक घरों और सैन्य फार्मों को बंद करने के बारे में लिया गया है। अभी सेना के 39 सैन्य फार्म हैं जिन्हें अब चरणबद्ध तरीके से बंद किया जायेगा।
श्री जेटली ने कहा कि पहले चरण के सुधारों के तहत सिग्नल प्रतिष्ठानों का पूरी क्षमता से इस्तेमाल किया जायेगा । इनमें रेडियो मॉनिटरिंग कंपनी, कोर एयर स्पोर्ट सिग्नल रेजिमेंट , एयर फोर्मेशन सिग्नल रेजिमेंट, कंपोजिट सिग्नल रेजिमेंट हैं । इसके साथ ही कोर आपरेटिंग तथा इंजीनयरिंग सिग्नल रेजिमेंट का विलय भी किया जायेगा। सेना के रिपेयर डिपो का पुनर्गठन किया जायेगा और इनमें बेस वर्कशॉप, एडवांस बेस वर्कशाप तथा फील्ड की वर्कशाम को शामिल किया जायेगा। इसी तरह आर्डिनेन्स विभागों में वाहन डिपो, आर्डिनेन्स डिपो , केन्द्रीय आर्डिनेन्स डिपो को जोडा जायेगा।
इसके साथ ही सेना में क्लर्क स्टाफ और ड्राइवरों की भर्ती के मानदंडों को थोडा सख्त किया जायेगा। राष्ट्रीय कैडेट कोर की दक्षता में सुधार किया जायेगा। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2015 में एकीकृत कमांडरों के सम्मेलन में कहा था कि दुनिया की बडी शक्तियां अपनी सेना को संख्या बल में कम कर , प्रौद्योगिकी पर ज्यादा जोर दे रही हैं हम अभी भी अपनी सेना का आकार बढाने में लगे हैं। सेना का एकसाथ विस्तार और आधुनिकीकरण कठिन तथा गैर जरूरी लक्ष्य है।
जनरल वी पी मलिक ने 1990 के दशक में सेना प्रमुख रहते हुए कहा था कि वह 50 हजार सैनिकों की कमी कर सकते हैं बशर्ते कि इससे होने वाली बचत सेना को पूंजीगत व्यय के लिए मुहैया करायी जाये। भारतीय सेना दुनिया की तीसरी बडी सेना है और उसमें लगभग 12 लाख सैनिक हैं ।