पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या की देशव्यापी निन्दा…

नयी दिल्ली, 06 सितम्बर। विभिन्न पत्रकार संगठनों, राजनीतिक दलों के नेताओं, जाने माने बुद्धिजीवियों और लेखकों ने पत्रकार गौरी लंकेश की निर्मम हत्या की कड़ी निन्दा की है और दोषियों को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा उपाध्यक्ष राहुल गांधी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अतुल कुमार अंजान और माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने गौरी की हत्या को अभिव्यक्ति की आजादी के लिए खतरनाक बताते हुए इसके घटना के लिए साम्प्रदायिक ताकतों को जिम्मेदार बताया है। भारतीय जनता पार्टी ने भी घटना की कड़ी निन्दा की है और कहा है कि दोषियों का पता लगाकर उन्हें सख्त सजा दी जानी चाहिए। इनके अलावा विभिन्न महिला एवं सामाजिक संगठनों और प्रेस क्लबों ने बयान जारी कर और धरना प्रदर्शन कर इस घटना की भत्र्सना की है। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (दिल्ली), दिल्ली पत्रकार संघ (डीयूजे), प्रेस एसोसिएशन, इंडियन महिला प्रेस कोर और आल इंडिया न्यूजपेपर्स एडिटर्स कांफ्रेंस, अखिल भारतीय जनवादी महिला संघ और सामाजिक संगठन अनहद के अलावा सुप्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर, जाने माने लेखक अशोक वाजपेयी, अंग्रेजी लेखिका शशि देशपांडे, नयनतारा सहगल, केकी दारूवाला, अम्बेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति श्याम वी मेनन, साहित्य अकादमी के पूर्व सचिव के सच्चिदानन्दन, मशहूर वकील इंदिरा जयसिंह, योजना आयोग की पूर्व सदस्य सईदा हमीद, मशहूर पत्रकार एवं ईपीडब्ल्यू पत्रिका के पूर्व संपादक प्रंजय गुहा ठाकुरर्ता, साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता मंगलेश डबराल, वरिष्ठ पत्रकार मानिनी चटर्जी और सीमा मुस्तफा ने भी इस घटना की कड़ी निन्दा की है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि देश में तर्कवादी चिन्तकों और पत्रकारों की हत्याओं से ऐसा माहौल बन गया है कि असहमति तथा अलग विचारधारा की वजह से लोगों के जीवन को खतरा हो सकता है। निर्भीक पत्रकार गौरी की हत्या हमारे लोकतंत्र के लिए दुखद क्षण है और यह इस बात को दर्शाता है कि हमारे समाज में असहिष्णुता उभर रही है। पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस घटना की तीखी निन्दा करते हुए कहा कि जो लोग भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के खिलाफ आवाज उठाते हैं, उन्हें पीटा जाता है और मार दिया जाता है। उन्होंने कहा कि गौरी लंकेश की हत्या के संबंध में उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री एस सिद्धारमैया से बात की है और उनसे कहा है कि जो लोग दोषी हैं ,उन्हें सजा मिलनी चाहिये।
भाकपा नेता अतुल कुमार अंजान ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद से अंध राष्ट्रवाद, साम्प्रदायिक उन्माद और वैचारिक संकीर्णता काफी बढ़ी है। इसके कारण हाल के वर्षों में पंसारे, दाभोलकर और कलबुर्गी के बाद गौरी लंकेश जैसे तर्कवादी और प्रगतिशील मूल्यों के बुद्धिजीवियों की हत्या हुई है। उन्होंने कहा कि यह बहुत चिंता की बात है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और संघ परिवार इन हत्याओं पर चुप्पी लगाये बैठा है।
माकपा पोलित ब्यूरो ने अपने बयान में कहा कि गौरी की हत्या भी उसी तरह हुई है, जिस तरह पंसारे, दाभोलकर और कलबुर्गी की हत्या हुई थी और ये सभी घटनाएं एक ही ढंग से हुई है, जिसका मकसद असहमति की आवाज को दबाना है। ये सभी घटनाएं एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। भाजपा, आरएसएस और हिन्दुत्ववादी ताकतों को यही एजेंडा है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी तथा सूचना प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ ने उनकी हत्या की निंदा की है। सुश्री ईरानी ने ट्वीटर पर गौरी लंकेश की हत्या की निंदा करते हुये उनके परिवार के प्रति शोक व्यक्त किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि हत्या की जांच तेजी से कर उनके परिवार को न्याय दिलाया जाएगा। केंद्रीय मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा ने भी गौरी लंकेश की हत्या पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार को गौरी लंकेश की हत्या का मामला सीबीआई को सौंप देना चाहिये।
भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि इस घटना में उनकी पार्टी या उसकी विचारधारा से जुड़े संगठनों का हाथ नहीं है और इस तरह के आरोप राजनीतिक विद्वेष की भावना से लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि घटना की जांच कर दोषियों को सख्त सजा दी जानी चाहिए। भाजपा समर्थकों की भी हत्या हुई है लेकिन हत्या किसी की भी हो गलत और निंदनीय है तथा अपराधियों को सजा अवश्य मिलनी चाहिए।
आल इंडिया न्यूजपेपर एडिटर्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष विश्वबंधु गुप्ता का कहना है कि देश के सभी पत्रकारों को इस तरह की घटनाओं के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लडऩी चाहिए। दिल्ली पत्रकार संघ (डीयूजे) के अध्यक्ष एस के पांडे ने एक बयान में कहा है कि गौरी के हत्यारों की तत्काल पहचान होनी चाहिए और उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। श्री पांडे ने देशभर के पत्रकारों से एकजुट होकर सामूहिक लड़ाई लडऩे का आह्वान किया।
प्रेस एसोसिएशन के अध्यक्ष जयशंकर गुप्त ने कहा है कि गौरी की हत्या लोकतांत्रिक मूल्यों और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में ऐसी घटनाओं काफी वृद्धि हुई है। प्रेस क्लब में आज सुबह आयोजित पत्रकारों के विरोध प्रदर्शन में श्रीमती सईदा हमीद, मंगलेश डबराल, प्रंजय गुहा ठाकुर्ता , आनन्द मोहन सहाय और टीवी पत्रकार अभिसार शर्मा ने इस घटना का विरोध करते हुए देश में बढ़ती साम्प्रदायिकता, सामाजिक ध्रुवीकरण और फैलते अंधविश्वास तथा अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार का जिक्र किया और कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में असहमति के लिए जगह लगातार कम होती जा रही है तथा बुद्धिजीवियों को निशाना बनाया जा रहा है।
जनवादी लेखक संघ, प्रगतिशील लेखक संघ तथा जनसंस्कृति मंच ने भी इस हत्या की कड़ी निन्दा की है और कहा है कि लिखने पढऩे और अलग सोच रखने वाले व्यक्तियों के लिए समाज में लगातार जगह कम होती जा रही है। यही कारण है कि अंधविश्वास, साम्प्रदायिकता और कट्टरता का विरोध करने वाले पंसारे, दाभोलकर, कलबुर्गी और गौरी लंकेश जैसे बुद्धिजीवियों और लेखकों की हत्याएं की जा रही हैं। यह लोकतंत्र के लिए अत्यंत घातक है।

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