
वडोदरा, 10 अक्टूबर। पेट्रोल-डीजल की कीमतों को महंगाई की जद करार देते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज इन पेट्रोलियम पदार्थों को तत्काल जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने जीएसटी की मौजूदा पांच कर दर वाली व्यवस्था को त्रुटिपूर्ण करार देते हुए इसकी जगह एकसमान 18 प्रतिशत दर वाली जीएसटी लागू करने का समर्थन किया। उन्होंने यह भी कहा कि एक कर स्लैब नहीं होने के चलते मौजूदा प्रणाली वास्तव में जीएसटी, जो एक देश एक कर की अवधारणा पर आधारित है, वह है ही नहीं। श्री गांधी ने कल से शुरू हुए अपनी तीन दिवसीय नवसर्जन गुजरात यात्रा के दौरान आज करजन तथा कुछ अन्य स्थानों पर सभाओं और अन्य मौकों पर तथा कल रात यहां व्यापारियों के साथ संवाद में पेट्रोल डीजल को जीएसटी के बाहर छोड़ देने के सरकार के फैसले पर भी सवाल खडा किया। राहुल ने कहा कि महंगाई कम करने के लिए यह समझना जरूरी है कि इसकी जद में पेट्रोल की कीमत है। जूते से लेकर हर चीज जो हम इस्तेमाल करते हैं उनमें पेट्रोल भी मूल्य निर्धारण का एक महत्वपूर्ण घटक होता है।
कच्चे तेल की कीमतें 140 डॉलर से गिर कर 50 डॉलर प्रति बैरल पर आ गयी हैं और करीब 100 डॉलर प्रति बैरल की गिरावट के बावजूद हैरानी की बात यह है कि इसका फायदा आम लोगों को नहीं मिल रहा। इसका फायदा किसे मिल रहा, मुझे पता नहीं या शायद मुझे पता है पर मै बोल नहीं रहा। पेट्रोल को तत्काल जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए ताकि इसकी कीमतें गिरें और लोगों को राहत मिले। उन्होंने कहा कि भारत की व्यवस्था जटिल है और ऐसे में यहां छोटे से छोटे निर्णय जनता की राय के आधार पर लिये जाने चाहिए पर मोदी जी ने नोटबंदी और जीएसटी को बिना राय मशविरे के थोप दिया जिससे अर्थव्यवस्था तबाह हो गयी है। मोदी जी किसी कि सुनते नहीं है जबकि जरूरत यह है कि जिसे वह पसंद नहीं करते उसकी भी सुनें। वह अपने ही मन की बात करते हैं। जब कांग्रेस की सरकार आयेगी तो हम जनता के मन की बात सुनेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियां केवल चुनींदा उद्योगपतियों पर केंद्रित हैं। इन्हें सात लाख करोड दे दिया गया है जबकि संप्रग सरकार के दौरान मनरेगा योजना जिसने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दी के 100 दिन के रोजगार के लिए 35000 करोड के खर्च को लेकर हाय-तौबा मचायी जा रही थी। यह भी समझ में नहीं आता कि 15 उद्योगपतियो का एक लाख 30 हजार करोड का कर्ज माफ करने वाली सरकार किस तर्क के चलते किसानों का कर्ज माफ नहीं करती।
श्री गांधी ने स्वीकार किया कि भाजपा अति कर रही है पर उनकी सरकार ने भी पूर्व में जितना करना चाहिए वैसा नहीं किया। ‘
उन्होंने कहा कि आईआईटी एक सरकारी संस्थान होने के बावजूद देश का सबसे बेहतर शैक्षणिक संस्थान है। इसलिए सरकारी शिक्षण संस्थानों को पोषित किया जाना चाहिए। वह निजी शिक्षा के खिलाफ नहीं है पर इसकी कीमत को नियंत्रित रखने के लिए सरकारी प्रणाली को मजबूत रखना जरूरी है जबकि गुजरात सरकार ने पूरी तरह निजीकरण के लिए इसे नष्ट कर दिया है।
श्री गांधी आज सुबह यहां बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की संकल्प भूमि पर भी गये वहां प्रार्थना में भी शिरकत की।