बिजनौर – कब्रिस्तान की भूमि पर दुकानें बनाने को लेकर राजनीति गर्माई

वक्फ की सम्पत्ति का सही इस्तेमाल हो तो काफी हद तक दूर हो सकती है मुस्लिमों की बदहाली

बिजनौर – जानी का चौराहा स्थित कब्रिस्तान पर दुकानें बनवाने को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। कब्रिस्तान के मुतवल्ली व अन्य बुद्धिजीवी मुस्लिमों ने दुकानों का विरोध करने वाले लोगों की निंदा की है।
मालूम हो कि जानी के चौराहा स्थित कब्रिस्तान की भूमि पर वर्षों से कुछ लोगों ने कब्जा कर रखा था। इन लोगों ने कब्जाई गई कब्रिस्तान की भूमि पर खोखे आदि रख रखे थे। लगभग एक वर्ष पूर्व वक्फ बोर्ड लखनऊ द्वारा हनीफ कुरैशी को उक्त कब्रिस्तान का मुतवल्ली बना दिया गया। हनीफ ने भागदौड़ कर कब्जाई गई भूमि पर दुकानें बनाने का प्रस्ताव पास करा लिया। उच्चाधिकारियों के आदेश पर कब्रिस्तान की भूमि से कब्जा हटाने के आदेश हो गए, जिससे कब्जाधारकों में हड़कम्प मच गया। उन्होंने कब्रिस्तान की भूमि पर दुकानें बनाने का विरोध करना शुरू कर दिया। दुकानदारों ने अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए धार्मिक भावनाओं का सहारा लिया। दुकानदारों व उनके साथ लगे लोगों ने प्रचार किया कि जहां दुकानें बनाई जाएंगी वहां अनेक लोगों की कब्रें हैं। कब्रों पर दुकानें बनाना उचित नहीं। दुकानदारों का ये तर्क मुतवल्ली अन्य समझदार लोगों ने यह कहकर खारिज कर दिया कि जब कब्रों पर उन्होंने खोखे रख रखे हैं तो पक्की दुकानें क्यों नहीं बन सकतीं। जब उक्त दुकानदारों की कोई बात नहीं चली तो उन्होंने एसडीएम व सीओ के सामने मुतवल्ली से यह लिखित समझौता कर लिया कि वे स्वयं अपने खोखे हटा लेंगे लेकिन पक्की दुकानें प्राथमिकता के आधार पर रियायती दरों पर दी जाएं। इस समझौते के बावजूद दुकानदारों ने अपने खोखे नहीं हटाए थे, जिस पर प्रशासनिक टीम ने मौके पर पहुंचकर खोखे हटवा दिए थे, जिस पर खूब हंगामा हुआ था। अब इस मामले को लेकर राजनीति हो रही है। मुतवल्ली के अनुसार कुछ लोग दुकानदारों को भड़काकर दुकानों का निर्माण न होने देने की सलाह दे रहे हैं। दुकानदार उक्त लोगों के बहकावे में आ रहे हैं। कभी दुकानदार चेयरपर्सन पति शमशाद अंसारी तो कभी मुस्तफा ठेकेदार को निशाना बना रहे हैं। मुतवल्ली हनीफ कुरैशी व शहर के समझदार लोगों ने इस मामले में राजनीति करने वालों की निंदा की है। उक्त लोगों का मानना है कि कब्रिस्तान की जिस भूमि पर खोखे रखे थे, उस भूमि पर यदि पक्की दुकानें बन जाएं तो न केवल कब्रिस्तान की आमदनी बढ़ेगी बल्कि अनेक लोगों को रोजगार भी मिल जाएगा। कई बुद्धिजीवी मुस्लिमों का कहना है कि वक्फ की सम्पत्ति का मुस्लिम सही इस्तेमाल नहीं कर रहे। यदि वक्फ की सम्पत्ति का मुस्लिम सही इस्तेमाल करें तो काफी हद तक मुस्लिमों की बदहाली दूर हो सकती है।

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