
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान विष्णु की आज्ञा से प्रजापति ब्रह्माजी सृष्टि की रचना करके जब उस संसार में देखते हैं तो उन्हें चारों ओर सुनसान निर्जन ही दिखाई देता था। उदासी से सारा वातावरण मूक सा हो गया था। जैसे किसी की वाणी ना हो। यह देखकर ब्रह्माजी ने उदासी तथा मलिनता को दूर करने के लिए अपने कमंडल से जल लेकर छिड़का। उन जलकणों के पड़ते ही पेड़ों से एक शक्ति उत्पन्न हुई जो दोनों हाथों से वीणा बजा रही थी और दो हाथों में पुस्तक और माला धारण की हुई जीवों को वाणी दान की। इसलिये उस देवी को सरस्वती कहा गया। यह देवी विद्या, बुद्धि को देने वाली है। इसलिये बसंत पंचमी के दिन हर घर में सरस्वती की पूजा भी की जाती है। दूसरे शब्दों में बसंत पंचमी का दूसरा नाम सरस्वती पूजा भी है।
क्या होती है बसंत पंचमी
माघ के महीने मकर संक्रांति की तरह इस महीने ही शुक्ल पक्ष की एक बहुत पावन, पवित्र तिथि आती है। जिसे हम एक त्यौहार के रूप में पूजते हैं। और उस त्यौहार पर्व का नाम बसंत पंचमी है। बसंत ॠतु का आगमन भी कहते है। इस तिथि को सरस्वती की उपासना करने वाली तिथि भी कहते है। विद्यार्थियो एवं माँ सरस्वती के उपासक कहने का यह तात्पर्य है। कि जो व्यक्ति विद्या अध्ययन करने के बाद अपने इस पढाई के द्वारा दूसरे व्यक्तियो को ज्ञान देने का कार्य करते है। दूसरा मतलब यह भी कह सकते है। कि जो भी व्यक्ति अध्यापक, लेक्चरार, प्रोफेसर, ट्यूशन सेन्टर चलाने वाले, या किसी भी प्रकार की पढाई करवाने के लिए संस्था, विद्यालय, कॉलेज, कोचिंग सेन्टर चलाने, पत्रकार, रिपोटर,जज,या पढाई के पीछे उच्च पद प्राप्त करने वाले उच्च पदाधिकारी, को इस दिन जरूर माँ सरस्वती का पूजन या उस के निमित्त दान जरूर करें। जिस मनुष्य की संतान पढाई में कमजोर है। उन्हें भी इस दिन पूजन करना चाहिए। या जो अपनी संतान को उच्च पढाई करवाने का सपना देख रहा है। उसे भी इस पावन तिथि मे सरस्वती का पूजन करना चाहिए। सरस्वती माँ की प्राप्ति उसी को हो सकती है। जिसकी की किस्मत में प्रारब्ध मेें सरस्वती की कृपा पढाई लिखी हो। लक्ष्मी की कृपा सबके पास हो सकती है। अपनी मेहनत या भाग्यनुसार चाहे किसी के पास ज्यादा हो चाहे किसी के पास कम हो। लेकिन सरस्वती उसी के पास होगी। जिसके भाग्य में लिखा होगा कि ये व्यक्ति विद्या पढाई लिखाई में परिपूर्ण होगा। इस मनुष्य की वुद्धि तीव्र होगी। पढाई में तेज होशियार होगा। दिमाग भी बहुत तेज होता है। माँ सरस्वती की कृपा से संगीत के कार्य में नृत्य में भी आपनी प्रतिष्ठा प्राप्त करता है। कहने का यह मतलब है। संगीतकार, डांसर, संगीत के वाद्ययंत्र (इस्टीयूमैन्ट) बजाने वाला हो सकता है।
ज्ञान का महापर्व
प्रात: काल उठते ही। आप नित्य कर्म स्नान इत्यादि करके आप ने घर मे अपना जो पूजन स्थान बनाया हुआ है।उस मंदिर स्थान को साफ करके। झाडू, पोचा लगा कर फिर गंगाजल छिढके और साफ पवित्र आसन लगा कर देशी घी की पवित्र पावन ज्योत प्रज्वलित करें। और माँ सरस्वती की आरती या सरस्वती चालिसा पढे। अगर आप के पास पीले वस्त्र है। तो उन साफ पीले या संतरी, वस्त्रो (कपडो) को धारण करके पूजन प्रारम्भ करेें।भगवान को गुड़ से बने हुये मिठ्ठे चावल हल्दी डालकर बनाये। यदि आप पीले मिठ्ठे चावल का भोग नही बना सकते। तो आप पीला हलूवे का भोग भी माँ सरस्वती की चालीसा का पाठ आरती कर के चढा सकते है। या आप माँ सरस्वती द्वादश स्त्रोत का पाठ करेें।यह स्त्रोत हमारी वैब साईट मे है। पढाई में कमजोर बच्चे करे यह उपाय करे सरस्वती पूजन में लिखा गया है। आप इस स्त्रोत को पढ कर भी माँ सरस्वती का पूजन कर सकते हो। और गरीब विद्यार्थियो को पुस्तक, कोपी, पैन, पैंसिल, पढाई में प्रयोग होने वाली पुस्तकों को दान दे सकते हो। या ब्राहमण को मंदिरों में धार्मिक ग्रंथों को दे कर भी आप माँ सरस्वती की कृपा प्राप्त करके अपनी संतान को भी उच्च विद्या( शिक्षा ) प्राप्त करवा सकते हो। और आप नौकरी के लिए कोई इन्टरव्यू, टेस्ट, या सरकारी विभागों में उच्चाधिकारी के पद के लिए जो परीक्षा देने की तैयारी कर रहे हो वह परीक्षा भी माँ सरस्वती की पूजन, चालीसा पाठ, सरस्वती द्वादश स्त्रोत का पाठ करके बिना किसी विध्न वाधाओ के सफल हो सकती है। और आप एक बडे अधिकारी बन सकते हो।
बसंत पंचमी की पूजा
प्रात: काल सूर्योदय स्नानादि कर पीले वस्त्र धारण करें। मां सरस्वती की प्रतिमा को सामने रखें तत्पश्चात् कलश स्थापित कर गणेश जी और नवग्रहों की विधिवत् पूजा करें। फिर मां सरस्वती की पूजा वंदना करें। मां को श्वेत और पीले पुष्प अर्पण करें। मां को खीर में केसर डाल के भोग लगाएं। विद्यार्थी मां सरस्वती की पूजा कर के गरीब बच्चों को कलम व पुस्तक दान करें। संगीत से जुड़े छात्र और व्यक्ति अपने वादन यंत्रों पर तिलक लगा कर मां का पूजन करें साथ ही मां को बांसुरी या वीणा भेंट करें।