
केंद्रीय कैबिनेट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अत्याचार पर रोक लगाने वाले कानून के मूल प्रावधानों की बहाली के लिए बिल को मंजूरी दी। बुधवार को बैठक के बाद लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने इस फैसले की तारीफ की। मोदी सरकार मानसून सत्र में ही बिल को संसद में पेश करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को अपने फैसले में एससी/एसटी एक्ट में बदलाव किए थे। इस एक्ट में आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी।
कोर्ट के आदेश को लेकर देशभर के दलित संगठनों और नेताओं में नाराजगी है। इसके खिलाफ 9 अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया गया है। 2 अप्रैल को भी भारत बंद बुलाया गया था। तब कई शहरों में उग्र प्रदर्शन हुए, जिनमें 12 लोगों की जान गई थी। एनडीए के सहयोगी दल लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान और उनके बेटे चिराग पासवान ने इस मुद्दे पर मोर्चा खोल दिया था। उन्होंने दलित संगठनों का प्रदर्शन रोकने के लिए सरकार से उचित कदम उठाने की मांग की थी।
कोर्ट ने कहा था जांच के बाद ही गिरफ्तारी हो : सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा था कि शिकायत के आधार पर फौरन किसी की गिरफ्तारी नहीं की जानी चाहिए। संसद भी उचित प्रक्रिया के बिना किसी को गिरफ्तार करने की इजाजत नहीं दे सकती। गिरफ्तारी से पहले शिकायतों की जांच निर्दोष लोगों का मौलिक अधिकार है। केंद्र सरकार ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा था कि कोर्ट संसद में बनाए कानून के किसी प्रावधान को हटाने या बदलने का आदेश नहीं दे सकती है।